सांसद राजीव राय ने सदन में उठाई आवाज
मुरली मनोहर पाण्डेय
मऊ। घोसी लोकसभा से सपा के सांसद राजीव राय ने मंगलवार को भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनसूची में शामिल करने के लिए लोक सभा के सदन में भोजपुरी से ही अपने कथन की शुरूआत किया। सांसद राजीव राय ने कहा कि संविधान के आठवीं अनुसूची में भोजपुरी भाषा के शामिल करे खातिर आज लोकसभा में नियम 377 के अधीन नोटिस देनी ह! अब मंत्री जी के जबाब क इंतजार बा। हिंदी के बाद सबसे ज्यादा बोले वाले भाषा के संगे सौतेला व्यवहार बरदाश्त ना होई। कहा कि भोजपुरी भाषा हजारों साल पुरानी है, इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है और यह बड़ी संख्या में लोगों द्वारा बोली जाती है। ऐतिहासिक रूप से इसे कैथी लिपि में लिखा जाता था, लेकिन 1894 से देवनागरी लिपि ने इसे मुख्य लिपि के रूप में स्थान दिया। भोजपुरी का साहित्य भी समृद्ध है, जिसमें महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन, विवेकी राय और भिखारी ठाकुर जैसे लेखकों की कृतियां शामिल हैं। हिंदी के कुछ अन्य प्रमुख लेखक जैसे भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी और मुंशी प्रेमचंद भी भोजपुरी साहित्य से गहरे रूप से प्रभावित थे। कहा कि भोजपुरी भाषा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से, बिहार के पश्चिमी हिस्से और झारखंड के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में बोली जाती है, साथ ही यह मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, नेपाल जैसे देशों में भी महत्वपूर्ण प्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती है। अनुमान है कि भारत में 50 मिलियन से अधिक लोग भोजपुरी बोलते हैं, जिससे यह देश की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। इसके अतिरिक्त, अन्य देशों में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या 28.50 लाख से अधिक है। भोजपुरी फिल्में भारत और विदेशों में लोकप्रिय हैं और हिंदी फिल्म उद्योग पर भी इनका प्रभाव पड़ा है। लेकिन अफसोस की बात है कि भोजपुरी को यूनेस्को के भाषा विश्व एटलस में एक संकटग्रस्त भाषा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो हिंदी के प्रभाव और सरकार की निरंतर उपेक्षा के कारण है। सांसद राजीव राया बोले कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की लंबित मांग है, ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोजपुरी भाषा आज भी संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं पा सकी है, जबकि सरकार ने इसके लिए वादे किए थे।