मुरली मनोहर पांडेय
मऊ। उन्मुक्त उड़ान मंच की संस्थापिका व अध्यक्षा के मार्गदर्शन व निर्देशानुसार, सम्माननीय कार्यकारिणी के अकथनीय सहयोग से, माननीय रचनाकारों के अनवरत लेखन से मातृत्व दिवस के उपलक्ष में मातृत्व सप्ताह मनाया गया।
मातृत्व सप्ताह का आरंभ छह दिवसीय साप्ताहिक आयोजन में प्रदत विषय क्या हम सच में माँ के प्रति अपने कर्तव्य निभा रहे हैं? चिंतन और मनन से किया गया।
उन्मुक्त उड़ान परिवार की अनुजा व विशेष आयोजन प्रभारी बिटिया अमिता गुप्ता नव्या सुरभि ने विषय के मूल भाव को उजागर करते हुए आयोजन प्रभारी का कर्तव्य निर्वहन बख़ूबी किया।
बिटिया अमिता ने कहा आज के भागम भाग जीवन में ज़्यादातर परिवार एकल हो रहे हैं संयुक्तता की डोर टूट सी रही है ऐसे में वृद्ध माता पिता अपने बच्चों से अलग रह रहे हैं। समाज में बढ़ते वृद्धाश्रम इस बात को सोचने के लिए मजबूर कर रही है हम जन्मदाता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किस तरह से कर रहे हैं? केवल एक दिन मातृत्व दिवस बना लेने से माँ की महिमा का मंडन कर लेने से हम अपनी माँ के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन से मुक्ति नहीं पा सकते अपितु हमें चाहिए हम वर्ष के 365 दिन वही सच्ची श्रद्धा और निष्ठा अपनी माँ के प्रति रखें जिससे कभी भी कहीं भी हमारी मातृत्व भावना पर प्रश्न न खड़े किए जा सकें और हमें सच्चे अर्थों में माँ के प्रति अपने दायित्वों का भलीभाँति निर्वहन करना चाहिए।
इस विषय पर 20 प्रबुद्ध सक्रिय समर्पित साहित्य मनीषियों ने अपने आलेखों के माध्यम से अपनी भावाभिव्यक्ति, माँ के प्रति श्रद्धा भाव दर्शाकर संदेशवाहक प्रेरक रचनाओं से मंच को समृद्ध किया।
इसी के साथ -साथ मातृ सप्ताह के प्रथम दिवस सोमवार को माता हरती पीर विषय पर उत्कृष्ट विषय निरूपण कर मंच की संरक्षिका व वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ स्वर्ण लता सोल कोकिला ने सभी रचनाकारों को सादर आमंत्रित किया वीडियो प्रस्तुति के लिए।17 रचनाकारों की मनभावन, कर्ण प्रिय वीडियो प्रस्तुति से आयोजन मनोरम हुआ।
मातृ सप्ताह के द्वितीय दिवस का विषय माँ के रूप अनेक हाइकु विधा में 31 रचनाकारों ने हाइकु छंद में माँ के प्रति अपने भाव उजागर कर विषय को सार्थकता प्रदान की।डॉ पूर्णिमा पाण्डये ने नेतृत्व सभी रचनाकारों का उत्साहवर्धन कर आयोजन प्रभारी का कर्तव्य निर्वहन आत्मीयता से किया।
मातृ सप्ताह के तृतीय दिवस में माँ, दूध,पालना,आँचल, कहानी शब्दों को समाहित कर, संयोजन कर बेहतरीन रचनाएँ प्रेषित की गई
35 रचनाकारों द्वारा। आयोजन प्रभारी विनीता नरूला प्रसन्ना जी के विषय निरूपण व सहृदय उत्साहवर्धन से रचनाकारों में उमंग का प्रवाह हुआ।
मातृ सप्ताह के चतुर्थ दिवस में प्रदत्त चित्र पर 33 रचनाकारों ने उत्कृष्ट व सार्थक चित्राभिव्यक्ति
छंदमुक्त विधा में देकर आयोजन को गति व सार्थकता प्रदान की।
आयोजन के पंचम दिवस पर माँ तुम बहुत याद आयी
संस्मरण विधा में रचनाकारों ने अपनी अपनी माँ के साथ अपनी यादें ताज़ा की और आयोजन प्रभारी व मंच की कार्यकारी अध्यक्षा नीरजा शर्मा अवनि जी के नेतृत्व में मातृत्व सप्ताह के पंचम दिवस को यादगार बना दिया।
मातृ सप्ताह के षष्टम दिवस पर रचनाकारों का उत्साह देखते ही बनता था। माँ संपूर्ण संसार है विषय को गीत विधा प्रस्तुत कर 32 रचनाकारों
ने आयोजन प्रभारी व समीक्षा प्रभारी अशोक दोशी दिवाकर ज़ी का पूरी तरह साथ दिया। कुछ रचनाकारों ने अपने गीतों को गाकर वीडियो प्रस्तुति भी प्रेषित की। मातृ सप्ताह को समापन की ओर ले जाते हुए मातृ दिवस के पावन, पवित्र, शुभ अवसर पर 35 रचनाकारों ने वीडियोस, लिखित, ऑडियो उसके माध्यम से माँ के प्रति अपनी भावनाएँ प्रस्तुत कर मंच को मातृ भक्ति से सरोबार कर दिया।
इसी बीच मंच की परिपाटी के अनुसार मंच की सह अध्यक्षा डॉ अनीता राजपाल वसुंधरा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ फूलचंद विश्वकर्मा भास्कर व डॉ मूरत सिंह यादव का जन्म दिवस भी जोरों शोरों से उत्साह, उमंग व हर्षोल्लास से वीडियोस के माध्यम से शुभकामनाएँ व बधाई संदेश प्रेषित कर मनाया गया।
इस आयोजन का विशेष आकर्षण केन्द्र प्रत्येक रचनाकार के छायाचित्र के साथ उनकी माता जी का छायाचित्र भी मंगवाकर उनके छायाचित्र को कोलाज में स्थान दिया गया।
आभासी काव्य गोष्ठी के माध्यम से भी मातृ दिवस
के उपलक्ष्य में रचनाएँ प्रस्तुत कर, नम आँखों से सभी ने एक दूसरे से विदा ली।
मंच अध्यक्षा/ संचालिका/संयोजिका व संस्थापिका डॉ दवीना अमर ठकराल ने आयोजन को समापन की ओर ले जाते हुए कहा
सच माँ होती ही ऐसी है जन्म से मृत्यु तक साथ निभाने वाली, दुख दर्द कम करने वाली, सदा आपके लिए दुआएँ माँगने, आशीर्वाद से आपकी झोली भरने वाली एक सशक्त साथी या यूँ कहा जाए ईश्वर का भेजा हुआ पृथ्वी पर अपना ही स्वरूप, अतिश्योक्ति नहीं होगी।
हम सबको अपने आप से प्रण लेना चाहिए कि
हम अपनी माँ को अधिक से अधिक समय देकर उनका सहारा बन सकें, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से बल प्रदान कर सकें।
काश कोई भी,किसी की माँ, कभी भी असहाय न हो,
काश कोई माँ अपने बच्चों के साथ के लिए न तरसे,
काश कोई माँ बच्चों द्वारा वृद्धाश्रम में न छोड़ी जाए,
काश यह सब सपना न होकर वास्तविकता बन जाए,
काश़ हमारा यह संदेश क्रियान्वित होकर सफल हो जाए।
डॉ दवीना अमर ठकराल “ देविका”