रिपोर्ट-रामदुलारी पटेल
बाराबंकी। जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं सामने आ रही हैं। नगर के आवास विकास कॉलोनी स्थित सेन्ट्रल अकादमी स्कूल इसका ताजा उदाहरण है, जहां लॉटरी में चयनित होने के तीन महीने बाद भी बच्चों का दाखिला नहीं हो पाया है।
प्री-प्राइमरी और कक्षा एक में सीटें आवंटित होने के बावजूद स्कूल प्रबंधन लगातार बहानेबाज़ी कर रहा है। कभी कागजात की कमी तो कभी वेबसाइट न खुलने की बात कहकर बच्चों को टरकाया जा रहा है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
अभिभावक लगातार बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा है। बुधवार को बीएसए कार्यालय पहुंचे कई अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चों के सवालों का अब उनके पास कोई जवाब नहीं है।
नोटिस-नोटिस खेल में उलझा शिक्षा विभाग
बेसिक शिक्षा विभाग की कार्रवाई भी सिर्फ नोटिस तक सीमित रह गई है। जब भी कोई शिकायत आती है, तो संबंधित स्कूल को चेतावनी पत्र भेजकर खानापूर्ति कर ली जाती है। बीएसए संतोष देव पांडेय द्वारा जारी चेतावनी पत्रों को भी स्कूल संचालक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। अब परेशान अभिभावक जिलाधिकारी से मिलने को मजबूर हो गए हैं।
बीएसए ने कार्रवाई करने का दिया आश्वासन
सदर खंड शिक्षा अधिकारी जयेंद्र कुमार ने सेन्ट्रल अकादमी की प्रिंसिपल संचिता श्रीवास्तव से बातचीत कर दाखिला सुनिश्चित करने को कहा था, जिस पर उन्होंने सहमति जताई। लेकिन जब अभिभावक स्कूल पहुंचे तो संचिता श्रीवास्तव ने यह कहते हुए मना कर दिया कि “लेबर क्लास के बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती है, इससे स्कूल का स्टैंडर्ड गिरता है।” यह रवैया न केवल शिक्षा के अधिकार कानून की अवहेलना है, बल्कि सामाजिक न्याय के भी खिलाफ है।
बीएसए संतोष देव पांडेय से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने बताया कि स्कूल को नोटिस जारी कर दिया गया है और जिलाधिकारी भी इस मामले को लेकर गंभीर हैं।
लॉटरी में मिला स्कूल, अब तक नहीं मिला प्रवेश
आवास विकास कॉलोनी के अधिवक्ता शिवम शुक्ला के बेटे अभिषेक शुक्ला को पहली लॉटरी में सेन्ट्रल अकादमी में कक्षा एक में दाखिले के लिए चयनित किया गया था। वहीं पाटेश्वरी प्रसाद के बेटे कार्तिक कैलाश को दूसरी लॉटरी में एलकेजी के लिए चुना गया था। दोनों ही मामलों में अभिभावकों को कभी वैरिफिकेशन का बहाना दिया गया, तो कभी वेबसाइट की तकनीकी समस्या का हवाला देकर टाल दिया गया।
छिजारसी निवासी निशा ने भी यही शिकायत की कि स्कूल वाले दाखिले में आनाकानी कर रहे हैं और बीएसए को शिकायत देने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
बीएसए ने बताया कि डीएम स्वयं आरटीई के लंबित मामलों को लेकर गंभीर हैं और यदि जल्द दाखिले नहीं हुए, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।