रिपोर्ट : प्रिंस प्रजापति
मऊ। मऊ में स्वास्थ्य और श्रम एवं सेवा योजन विभाग की भर्ती प्रक्रिया में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। घोसी टड़ियांव स्थित सौ बेड अस्पताल में 27 पदों की भर्ती के लिए जारी निविदा में चौंकाने वाली शर्तें रखी गई हैं।
पीसीएस फिनटेक कंसल्टेंसी द्वारा जारी निविदा में धोबी पद के लिए दो वर्षीय आईटीआई डिप्लोमा अनिवार्य किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह शर्त आम मजदूर वर्ग को नौकरी से वंचित करने जैसी है। वेतनमान में भी कई विसंगतियां हैं। लैब अटेंडेंट का मूल वेतन 11,316 रुपए 16 पैसे और पीएफ है, लेकिन गजट वेतन 10,707 रुपए रखा गया है। इसी तरह पलंबर का मूल वेतन 11,177 रुपए और पीएफ है, जबकि गजट वेतन 10,707 रुपए है।
इलेक्ट्रीशियन और जनरेटर ऑपरेटर का मूल वेतन 11,316 रुपए 16 पैसे और पीएफ है, लेकिन गजट वेतन 10,707 रुपए है। चपरासी का मूल वेतन 9,999.83 रुपए और पीएफ है, जबकि गजट वेतन 10,707 रुपए रखा गया है।
विभाग ने किस आधार पर यह 'एक समान वेतन नीति' अपनाई, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है।
वह इस मामले पर जिला सेवायोजन अधिकारी अरविंद कुमार पांडे से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यह सारी रिक्तियां लखनऊ से निकलते हैं इस मामले में संबंधित विभाग ही पूरी जानकारी और अधिकारी जानकारी दे सकते हैं।
केंद्र और राज्य सरकारें कौशल विकास और रोजगार बढ़ाने की बात कर रही हैं। लेकिन विभाग की इस तरह की जल्दबाजी में जारी की गई अधिसूचनाएं बेरोजगारों की उम्मीदों पर पानी फेर रही हैं। लगभग 1000 (एक हजार) बेरोजगारों ने किया आवेदन, लेकिन क्या मिल पाएगा न्याय?
इन अनियमितताओं के बावजूद, श्रम विभाग के पोर्टल पर अब तक लगभग 1000 आवेदन आ चुके हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह प्रक्रिया ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ेगी?